Inspirational poems in Hindi

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Inspirational poems










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1). आँखें बंद करके तो खूब देख लिए सपने।

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आँखें बंद करके तो खूब देख लिए सपने। 
अब आँखें खोल के सपने देखने की बारी है । 
में भी क्यू रहु पीछे किसी से। 
मुझमें क्या लाचारी है। 

माना गिरा हुआ हु ज़मीन पर फ़िलहाल। 
मगर उठने का हौसला रखता हु। 
अरे तुम क्या लड़ोगे मुझसे। 
तुमसे कोनसा में डरता हु। 

में पेंसिल हु ,तो कोई तो रबर बन जाओ। 
में प्यासा हु ,तो कोई तो पानी बन जाओ। 
बस राह चलता मुसाफिर हु। 
इतनी सी बात है ,कोई तो सहारा दे जाओ। 

मशाल नहीं बन सका ,तो दिया ही सही। 
दवा न दे सका ,तो दुआ ही सही। 
हुकूमत तो ऊपर वाले की है। 
प्रसाद नहीं ,तो आशीर्वाद ही सही। 

रात में चाँद जैसा शांत हु में। 
दुपहर में सूरज जैसा तेज हु में। 
मगर में ठान लू कुछ कर दिखाने की। 
तो बादलों में से आता तूफ़ान हु में। 

2). तू क्यों चाहता है वक़्त धीमा हो जाए,

तू क्यों चाहता है वक़्त धीमा हो जाए,

 

 तू क्यों चाहता है वक़्त धीमा हो जाए,
जिस्से तेरे लिए चलना आसान हो जाए.
अरे रहने दे चीज़ो को मुश्किल इसी तरह,
वार्ना तेरे लिए ही नहीं सबके लिए चलना आसान हो जाए,
देख सूरज को ढलते रोज हर श्याम को ,
फिर तो सूरज ही नहीं चाँद भी उगने में लेट हो जाए।

तू क्यों चाहता है वक़्त धीमा हो जाए,
जिस्से तेरे लिए चलना आसान हो जाए.
सुन ले तू आवाज़ चलते उन तुफानो की ,
फिर तो ये तूफ़ान भी शीतल चलती हवाओं में तब्दील हो जाए ,
तू तेरे वक़्त का बंधा है ,किसमत का नहीं,
तेरे वक़्त का तो पता नहीं ,मगर किसमत जरूर बदल जाए। 

 तू क्यों चाहता है वक़्त धीमा हो जाए,
जिस्से तेरे लिए चलना आसान हो जाए.
दूर मत देख वार्ना आसमान और ज़मीन भी मिल जाए ,
कल की मत सोच वार्ना तेरा आज भी बिगड़ जाए,
कर लू में मुट्ठी में सारी इस दुनिया को ,
फिर क्या मेरा चलना भी भारी हो जाए। 

हाथ में कटोरा लिए भैठा हु, बस थोड़ी सी बिख मिल जाए ,
जरूरत मुझे पैसो की नहीं , बीएस दुआ मिल जाए ,
मंज़िल भी मेरी ,सफर भी मेरा ,बस चलने का मक़सद मिल जाए ,
जो कोई न सोच सका ,वो में बन जाउ ,बस किसी का साथ मिल जाए ,
 तू क्यों चाहता है वक़्त धीमा हो जाए,
जिस्से तेरे लिए चलना आसान हो जाए.